राधा-कृष्ण के प्रेम में डूबी 5 अद्भुत भक्ति शायरियाँ 1. राधा के बिना श्याम अधूरे, प्रेम बिना भक्ति अधूरी। दिल से जो पुकारे कान्हा को, उसकी हर दुआ ज़रूरी। 2. बाँसुरी की तान में बसी है पीर, हर राग में छलकता है प्रेम का नीर। कृष्ण की भक्ति में खो जाओ, यही है जीवन का सही अधीर। 3. प्रेम का रंग गहरा हो जाए, राधा नाम जब मन में समा जाए। ये भक्ति का ऐसा सागर है, जिसमें डूबकर जीवन तर जाए। 4. पग पग पर कृष्ण मिलेंगे, बस आँखों में श्रद्धा रखो। संसार की भीड़ में भी, मन में राधा-कृष्ण को जगा कर चलो। 5. मोर मुकुट सिर पे सजे, अधरों पे बंसी की तान। ऐसी छवि जो मन भाए, वही है कृष्ण भगवान।
## **कलयुग में भक्ति – क्या आज भी सच्चे भक्त होते हैं?** "कलयुग है केवल नाम अधारा, सुमर-सुमर नर उतरहिं पारा।" ये पंक्तियाँ बताती हैं कि कलयुग में केवल नाम जपना ही मोक्ष का मार्ग बन गया है। लेकिन सवाल ये उठता है – क्या आज भी सच्ची भक्ति होती है? क्या आज भी ऐसे भक्त होते हैं जो भगवान के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं? आइए, इस रहस्य पर विचार करें। --- ### **कलयुग – सबसे कठिन युग** सनातन धर्म के अनुसार चार युग होते हैं – सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग। * सतयुग में धर्म अपने पूर्ण स्वरूप में था। * त्रेतायुग में वह तीन भाग शेष रहा। * द्वापर में दो और * अब कलयुग में केवल एक चौथाई बचा है। कलयुग में लोभ, मोह, क्रोध, ईर्ष्या और कामनाएँ मनुष्य पर हावी रहती हैं। लोगों का ध्यान ईश्वर से ज़्यादा भौतिक सुखों की ओर चला गया है। फिर भी, कहते हैं न – "जहाँ अंधकार होता है, वहीं दीपक की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।" --- ### **भक्ति का स्वरूप बदला है, समाप्त नहीं हुआ** आज भक्ति मंदिरों तक सीमित नहीं रही। सोशल मीडिया, मोबाइल ऐप्स, यूट्य...
चलिए शुरुआत करें: **भूमिका: सनातन धर्म की कथा ग्रंथों का महासागर – पुराण** सनातन धर्म को दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म माना जाता है, जिसमें वेद, उपनिषद, महाकाव्य, और पुराण जैसे अद्भुत ग्रंथों का खजाना है। वेदों को "ज्ञान" माना गया है तो पुराणों को "अनुभव"। ये केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि इतिहास, विज्ञान, ज्योतिष, आयुर्वेद, नीति और जीवन जीने की कला भी सिखाते हैं। लेकिन प्रश्न उठता है — **कुल कितने पुराण हैं? कौन-कौन से हैं? और उनका महत्व क्या है?** --- ### पुराण क्या हैं? (What are Puranas?) **"पुरा अपि नवं यः सः पुराणम्"** — जो ग्रंथ प्राचीन होते हुए भी आज भी नवीन ज्ञान दें, वही पुराण हैं। पुराणों का शाब्दिक अर्थ है — "प्राचीन कथा"। यह ग्रंथ वेदों की व्याख्या, धार्मिक परंपराएं, देवी-देवताओं की कथाएं, सृष्टि की रचना, और धर्म की शिक्षा देते हैं। --- ### सनातन धर्म में **कुल 18 महापुराण** होते हैं ये 18 पुराण तीन प्रमुख देवताओं — ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) — के आधार पर बाँटे गए हैं। #### **त्रिदेवों पर आधारित वर्गीकरण:** - **सात (7...
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