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Ganesh Chalisa: भक्ति, विज्ञान और रहस्य – जानिए हर दोहे का रहस्य और लाभ!"

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गणेश चालीसा: एक भक्तिमय विज्ञान और पौराणिक कथा 1. गणेश चालीसा की रचना की पौराणिक कथा गणेश चालीसा एक प्रसिद्ध भक्तिपूर्ण काव्य है जो भगवान श्री गणेश की स्तुति में लिखा गया है। इसकी रचना गोस्वामी तुलसीदास जी या उनके शिष्य मंडल में से किसी एक संत द्वारा की गई मानी जाती है। पौराणिक मान्यता है कि एक बार काशी में महामारियों और संकटों ने लोगों को परेशान कर दिया। संतों ने तब श्री गणेश जी का आह्वान करते हुए 40 छंदों में उनकी महिमा का गुणगान किया। ऐसा माना जाता है कि उस पाठ से ही संकट टले और यह चालीसा अमर हो गई। गणेश चालीसा का पाठ करने से सभी कार्यों में सफलता और विघ्नों का नाश होता है। ### 2. हर दोहे का भावार्थ (चयनित 5 प्रमुख दोहों सहित) **1. जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।** भावार्थ: हे गिरिजा पुत्र गणेश, आप मंगल के मूल और बुद्धिमान हैं, आपका जयकार हो। **2. विनय करौं गुरुदेव की, सुनिए विनय महान।** भावार्थ: मैं अपने गुरुदेव की विनती करता हूँ, कृपया मेरी प्रार्थना सुनिए। **3. जय जय जय गणपति गणराजू। मंगल करण कृपालु विराजू।।** भावार्थ: हे गणपति राज, आपका बार-बार जयकार हो। आप करुणा और...