प्रदोष व्रत (कृष्ण) 25 अप्रैल 2025: भगवान शिव की कृपा पाने का विशेष दिन

प्रदोष व्रत (कृष्ण) - 25 अप्रैल 2025

प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) – 25 अप्रैल 2025

शुक्रवार, 25 अप्रैल 2025

प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। अप्रैल 2025 में कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 25 अप्रैल को शुक्रवार के दिन पड़ रहा है, जिसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से गृहस्थ जीवन, सौंदर्य, सुख-संपत्ति और वैवाहिक जीवन की समृद्धि के लिए शुभ माना गया है।

प्रदोष व्रत का महत्व

‘प्रदोष’ शब्द का अर्थ है—‘संध्या काल’। यह वह समय होता है जब दिन और रात का मिलन होता है। मान्यता है कि इस समय भगवान शिव तांडव मुद्रा में होते हैं और अपने भक्तों की पुकार अवश्य सुनते हैं। प्रदोष व्रत के दिन शिव जी की आराधना से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पौराणिक कथा

प्रदोष व्रत से जुड़ी एक प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार एक निर्धन ब्राह्मण बालक जंगल में भटकता हुआ भगवान शिव की आराधना करने लगा। उसने त्रयोदशी तिथि को उपवास रखा और संध्या के समय शिवलिंग पर जल चढ़ाकर आरती की। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे दरिद्रता से मुक्ति दी और राजा बना दिया। यह कथा दर्शाती है कि प्रदोष व्रत के फलस्वरूप जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

तिथि विवरण:
त्रयोदशी तिथि आरंभ: 25 अप्रैल 2025 को प्रातः 02:08 बजे
त्रयोदशी समाप्त: 26 अप्रैल 2025 को प्रातः 03:24 बजे
प्रदोष काल: सायं 06:40 बजे से रात्रि 08:55 बजे तक
व्रत विधि: निर्जल उपवास, शिव पूजन, संध्या आरती, कथा श्रवण

व्रत की विधि

प्रदोष व्रत को शास्त्रीय विधि से करने के लिए प्रातः काल स्नान कर संकल्प लिया जाता है। व्रती दिनभर उपवास रखते हैं और सायंकाल प्रदोष काल में भगवान शिव, माता पार्वती, नंदी एवं गणेश जी का पूजन करते हैं। दीप जलाकर शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। इसके पश्चात व्रत कथा का पाठ किया जाता है और आरती होती है।

शुक्र प्रदोष का विशेष महत्व

जब प्रदोष व्रत शुक्रवार को आता है, तब उसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। शुक्र ग्रह भौतिक सुख, समृद्धि, सुंदरता, और वैवाहिक जीवन का प्रतीक होता है। इस दिन प्रदोष व्रत करने से पारिवारिक जीवन में सुख-शांति आती है और दाम्पत्य संबंधों में प्रेम बढ़ता है। जो जातक विवाह में विलंब से पीड़ित हैं, उनके लिए यह व्रत विशेष रूप से लाभदायक माना गया है।

भगवान शिव की उपासना में ध्यान देने योग्य बातें

  • शिवलिंग पर केवल बेलपत्र, धतूरा, और जल चढ़ाएं।
  • तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज आदि से परहेज करें।
  • मौन व्रत का पालन करने से मानसिक शांति मिलती है।
  • शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र और ओम् नमः शिवाय का जप करें।

प्रदोष व्रत और ज्योतिष

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, प्रदोष व्रत ग्रहों की शांति के लिए भी उपयोगी होता है। विशेषकर जिन लोगों की कुंडली में शनि, राहु, या केतु दोष हो, उन्हें प्रदोष व्रत करने से लाभ होता है। शुक्र प्रदोष व्रत विशेष रूप से शुक्र ग्रह से जुड़े दोषों को दूर करने के लिए प्रभावशाली माना गया है।

घर में कैसे मनाएं प्रदोष व्रत?

यदि आप मंदिर नहीं जा सकते तो घर पर भी विधिपूर्वक पूजन कर सकते हैं। एक स्वच्छ स्थान पर मिट्टी या धातु का शिवलिंग स्थापित करें। पंचामृत से स्नान कराकर बेलपत्र, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप आदि अर्पण करें। संध्या काल में शिव आरती के साथ व्रत कथा पढ़ें और प्रसाद वितरित करें। व्रत का पारण अगले दिन प्रातः फलाहार या सात्विक भोजन से किया जाता है।

सामूहिक प्रदोष व्रत आयोजन

आजकल कई मंदिरों और संस्थानों द्वारा सामूहिक प्रदोष व्रत का आयोजन किया जाता है। इसमें अनेक श्रद्धालु एकत्रित होकर शिव पूजन, भजन, आरती, कथा और प्रसाद वितरण में भाग लेते हैं। ऐसे आयोजन सामूहिक ऊर्जा को बढ़ाते हैं और सामूहिक भक्ति का विशेष प्रभाव पड़ता है।

प्रदोष व्रत का आत्मिक पक्ष

इस व्रत का उद्देश्य केवल भौतिक सुख प्राप्त करना नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि भी है। व्रती को व्रत के दिन अपने विचारों, आचरण और वाणी में पवित्रता रखनी चाहिए। दूसरों की सेवा, दान, और परोपकार के कार्य इस दिन विशेष पुण्यदायक माने गए हैं।

भक्ति मार्ग पर एक कदम

प्रदोष व्रत न केवल शरीर को संयमित करता है, बल्कि यह भक्ति की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। भगवान शिव की कृपा से आत्मा को सच्चा मार्गदर्शन मिलता है और जीवन में विवेक का प्रकाश फैलता है। यह व्रत साधना की शुरुआत के लिए अत्यंत उत्तम माना गया है।

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हर हर महादेव!
ओम् नमः शिवाय।

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